Beagle Health And Care Tips in Hindi: नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का DogKiDuniya.com में। दोस्तों पीछे के लेख में हम बीगल डॉग ब्रीड्स, बीगल डॉग प्राइस, बीगल डॉग फ़ैक्ट्स, बीगल डॉग ब्रीड करैक्टेरिस्टिक्स के बारे में विस्तृत चर्चा कर चुके हैं। यह सारे लेख आप नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। आप भी एक डॉग लवर है बीगल पप्पी को अपने घर में लाना चाहते हैं तो उसके बारे में संपूर्ण जानकारी होना बहुत जरूरी है जिसे आप एक-एक करके हमारे लेख पढ़कर प्राप्त कर सकते हैं।
आज के लेख में हम बीगल डॉग के स्वास्थ्य, देखभाल (Beagle Health And Care Tips) के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर आए हैं तो देर किस बात की चलिए शुरू करते हैं..
Beagle Health And Care Tips in Hindi
अब चलिए एक-एक करके Beagle Health And Care Tips के बारे में जानते हैं..
बीगल का स्वास्थ्य (Beagle Health)
बीगल डॉगी उन नस्लों में शामिल है जिन्हें बीमारियों की संभावना कम होती है। लेकिन बहुत सारी बिगल नस्लें जो शुद्ध नहीं होती हैं उनमें कई बीमारियां पकड़ लेती है। नीचे हम कुछ बीमारियों का उल्लेख कर रहे हैं जिनके प्रति आपको सावधान रहना चाहिए यदि आप इस नस्ल को अपना रहे हैं तो।
इंटरवर्टेब्रल डिस्क डिजीज (Intervertebral Disk Disease)
आपको बता दें कि स्पाइनल कॉर्ड वर्टेब्रल कॉलम से घिरी हुई होती है और वर्टेब्रल कॉलम के बीच की हड्डियों को इंटर्वर्टेब्रल डिस्क कहते हैं जो कि एक तरीके से शॉक ऑब्जर्वर का काम करती है और पप्पी के बॉडी को सामान्य मूवमेंट में मदद करती है। जो डिस्क होती है वह दो परतों में बनी होती है बाहरी फाइबर की परत और अंदर जेली समान परत होती है।
इंटर्वर्टेब्रल डिस्क बीमारी तब होती है जब जेली के समान वाली अंदर की परत स्पाइनल कैनाल की तरफ फैल जाता है और स्पाइनल कॉर्ड को आगे की तरफ धक्का देने लगता है जिसकी वजह से स्पाइनल कार्ड में दबाव पैदा हो जाता है। इसकी वजह से गर्दन या फिर रीड की हड्डी में दर्द पैदा होता है।
इस दर्द की वजह से संवेदनशीलता खत्म हो जाती है और पैरालाइसिस की संभावना बढ़ जाती है। कभी-कभी तो ब्लैडर पर भी नियंत्रण खो जाता है। इस प्रकार का डैमेज जो स्पाइनल कंप्रेशन से पैदा होता है, वह इरिवर्सिबल होता है यानी इसे सही नहीं किया जा सकता।
उपचार: इंटर्वर्टेब्रल डिस्क डिजीज का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है जिनमें लोकेशन, सिविलिटी, इंजरी और ट्रीटमेंट के बीच समय की लंबाई कारक शामिल हैं। इस बीमारी में प्रायः सर्जरी की मदद ली जाती है जिसकी मदद से स्पाइनल कार्ड पर पड़ रहे इस आंतरिक दबाव को कम किया जाता है। लेकिन सर्जरी हमेशा सफल नहीं रहती है। इसीलिए समय रहते आपको अपने कुत्ते को इलाज कराना चाहिए।
चेरी आइ (Cherry Eye)
यह ऐसी परिस्थिति होती है जिनमें तीसरी आंख के अंदर की ग्रंथि फैल जाती है और आंखों का किनारे का भाग चेरी के समान लाल हो जाता है। इस बीमारी के इलाज में कभी-कभी पशु चिकित्सक कुत्ते में मौजूद इस अतिरिक्त ग्रंथि को निकालते हैं।
ग्लूकोमा (Glaucoma)
यह एक दर्दनाक बीमारी होती है जिसमें आपके डॉगी के आंखों में बहुत अत्यधिक दबाव पैदा हो जाता है जिसकी वजह से आपके डॉगी की आंखों से लगातार तरल पदार्थ निकलने लगता है जिसको “आक्वज़ ह्यूमर” बोलते हैं।
यदि यह तरल पदार्थ सही प्रकार से नहीं निकल पाता है तो आंखों के अंदर प्रेशर बढ़ जाता है जो कि ऑप्टिक नर्व को डैमेज करता है जिससे आपके कुत्ते की देखने की क्षमता खो सकती है और अंधापन आ सकता है।
यह दो प्रकार का होता है पहला प्राथमिक ग्लूकोमा जो कि एक प्रकार का अनुवांशिक बीमारी होती है और दूसरा सेकेंडरी ग्लूकोमा जो कि सूजन, ट्यूमर या चोट के कारण से होता है।
ग्लूकोमा सामान्यता पहले एक आंख को प्रभावित करता है और वह लाल हो जाती है और उससे आंसू निकलने लगते हैं और देखने में दर्दनाक दिखती है। धीरे-धीरे आंख के सामने का भाग सफेद होने लगता है। लगभग नीला बादल जैसा बन जाता है। पहले आंखों के सामने हल्का धुँधलापन छाता है और धीरे-धीरे यह अंधापन में तब्दील हो जाता है।
इसके निराकरण के लिए किसी अच्छे पशु चिकित्सक से सर्जरी या फिर दवा की जरूरत होती है जो कि ग्लूकोमा के प्रकार और परिस्थिति पर निर्भर करता है।
हिप डिस्प्लेशिया (Hip Dysplasia)
यह एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें जांग की हड्डी कुल्ले की हड्डी के साथ सही फिट नहीं हो पाती है जिसकी वजह से आपके डॉगी को असहनीय पीड़ा और लंगड़ेपन या फिर इन दोनों से गुजरना पड़ सकता है। कभी-कभी तो यह कुत्तों के दोनों पिछले पैरों में देखने को मिलता है।
हिप डिस्प्लेशिया के अलावा कभी-कभी कुत्तों में अर्थराइटिस भी विकसित हो जाती है। वह कुत्ते जो हिप डिस्प्लेशिया से पीड़ित होते हैं। उनका इस्तेमाल कभी भी नई नस्लों के प्रादुर्भाव या उत्पन्न करने में नहीं किया जाना चाहिए।
इसीलिए हम आपको बार-बार सलाह देते हैं कि किसी भी नस्ल का कुत्ता हमेशा एक रेपुटेड ब्रीडर से ही खरीदें क्योंकि वही आपको नस्लों की शुद्धता की गारंटी दे सकते हैं।
निदान: हिप डिस्प्लेशिया की समस्या से निजात पाने के लिए आप अपने डॉगी को एक्सरे स्क्रीनिंग की मदद से इलाज करा सकते हैं। अब चलिए Beagle Health And Care Tips में अगली बीमारी के बारे में जानते हैं।
Hypothyroidism (हाइपोथाइरॉएडिज्म)
यह एक थायराइड ग्रंथि से संबंधित विकार है। ऐसा माना जाता है कि यह एपी लेप्सी एलोपेसिया ओबेसिटी लेथार्जी प्योडरमा और अन्य त्वचा संबंधित बीमारियों को जन्म देता है। इसका इलाज दवा और डाइट में बदलाव करके किया जा सकता है।
प्रोग्रेसिव रेटिनल अट्रॉफी (Progressive retinal atrophy (PRA)
यह मुख्य तौर पर एक आंखों से संबंधित बीमारी है जिसमें कुत्ते की आंखों की रेटिना का धीरे-धीरे क्षय होने लगता है। इस बीमारी के शुरुआती के दिनों में पीड़ित कुत्ते नाइट ब्लाइंड का शिकार हो जाते हैं। उनके देखने की क्षमता खो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित ज्यादातर कुत्ते अपनी रोशनी खो देते हैं। इसीलिए इसका तत्काल प्रभाव से इलाज कराना अति आवश्यक है।
Beagle Dwarfism
यह ऐसी परिस्थिति होती है जब आपका डॉगी अपने सामान्य आकार से छोटा रह जाता है। यह स्थिति अन्य शारीरिक असामान्यताओं के साथ हो भी सकती है और नहीं भी, जैसे कि अत्यंत छोटे पैर। अब आइए देखते हैं Beagle Health And Care Tips के अगले चरण को।
बीगल की देखभाल कैसे करें? (Beagle Care Tips)
Beagle Health And Care Tips के इस चरण में आइए और जानते हैं।दरसल बीगल्स जैसे Scent Hound नस्ल के लिए चारों तरफ तारों से घिरा यार्ड सही रहता है। घर से बाहर होने पर आपका पप्पी आपकी निगरानी या सुरक्षित रूप से सीमित क्षेत्र में होने चाहिए। सामान्य रूप से बीगल स्वभाव से घुमक्कड़ प्रवृत्ति के होते हैं। इसीलिए उनकी खास देखभाल करनी चाहिए।
यह भी पक्का करें कि उनके शरीर में माइक्रोचिप या फिर गले में पहचान का टैग डाल दें जिससे उसे आसानी से खोजा जा सके। कुछ लोग अंडरग्राउंड इलेक्ट्रॉनिक फ़ेन्स का प्रयोग करना पसंद करते हैं।
लेकिन इस प्रकार का परिक्षेत्र दूसरे जानवरों को यार्ड के अंदर आने से नहीं रोक सकता है। इसके अतिरिक्त यह भी सत्य है कि यदि बीगल किसी चीज को सूंघ लेते हैं तो उसके पीछे निकल पड़ते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी रिस्क उठाना पड़ जाए।
अन्य नस्लों की तरह बीगल को भी आग्यकारित की शिक्षा देना लाभदायक होता है। बीगल एक ऊर्जा से भरी हुई नस्ल होती है इसीलिए इन्हें बहुत अत्यधिक मात्रा में कार्य करने के अवसर देने होते हैं। यह परिवार के साथ चलना पसंद करते हैं। खासकर एक बड़े से क्षेत्र में खरगोश का शिकार करना इन्हें बेहद पसंद है।
यह जोगिंग पसंद करते हैं लेकिन कम से कम इनकी उम्र 18 महीने या उससे अधिक होनी चाहिए। जब भी बीगल परिपक्व हो जाते हैं तो ऐसा देखा गया है कि वे थोड़े आलसी हो जाते हैं। कभी-कभी तो वह घर पर दिन भर सोना पसंद करते हैं और केवल खाने के लिए या फिर कभी कभी कान ख़ज़ाने के लिए ही जगते हैं। ऐसी परिस्थिति में इन्हें बहुत जल्दी मोटापा घेर लेता है तो इस बात का विशेष ध्यान रखें।
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